Wednesday 8 February 2017

Chandni hai hawa hai kya kahiye/ चाँदनी है हवा है क्या कहिये

चाँदनी है हवा है क्या कहिये
मुफ़लिसी क्या बला है क्या कहिये

(मुफ़लिसी = गरीबी)

बंदगी जिसकी है फ़क़त जिसकी रोना
वो हमारा ख़ुदा है क्या कहिये

इंतहा के हैं इश्क़ में सदमे
और अभी इब्तेदा है क्या कहिये

(इन्तिहा = अंत, समाप्ति, परिणाम, फल), (इब्तिदा = आरम्भ, प्रारम्भ, शुरुआत)

आज हाल-ए-दिल-ए-तबाह 'जिगर'
हमने किससे कहा है क्या कहिये

-जिगर मुरादाबादी







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