Friday 7 October 2016

Geeli si aawaz suni thi aankh ne shayad/ गीली सी आवाज़ सुनी थी आँख ने शायद

गीली सी आवाज़ सुनी थी आँख ने शायद
सिसकी ली है ,सिसकी ली है
सिसकी ली है, सिसकी ली है

छोटे छोटे से रिश्तों को
बालिश्तों से नापते रहना
रात के पर्दे में रो लेना
रोशनी दिन की डालते रहना
नींद में कोई रोता रहा है
सोते सोते सुबकी ली है

गीली सी आवाज़ सुनी थी आँख ने शायद
सिसकी ली है,सिसकी ली है
-गुलज़ार




 

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