Wednesday 6 July 2016

Wo mujhse hue hum-qalaam, allah allah/ वो मुझसे हुए हम-कलाम अल्लाह-अल्लाह

वो मुझसे हुए हम-कलाम अल्लाह-अल्लाह
कहाँ मैं कहाँ ये मक़ाम अल्लाह-अल्लाह

(हम-कलाम = किसी के साथ बात करने वाला या बात करता हुआ), (मक़ाम = पड़ाव)

ये रु-ए-दरक्शां ये ज़ुल्फ़ों के साए
ये हंगामा-ए-सुबह-ओ-शाम अल्लाह-अल्लाह

(रु-ए-दरक्शां = चमकता हुआ चेहरा)

ये बहकते हुए शेख़ जी के कदम
और ज़ुबाँ पर ख़ुदा का नाम अल्लाह-अल्लाह

ये तौबा का आलम ये तिश्ना-लबी
और छलकता हुआ ये जाम अल्लाह-अल्लाह

(तिश्ना-लबी = बहुत ज़्यादा प्यास)

-सूफ़ी तबस्सुम

इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

ये जल्वों की ताबानियों का तसलसुल
ये ज़ौक़-ए-नज़र का दवाम अल्लाह-अल्लाह

(ताबानी = प्रकाश, आभा, ज्योति, रौशनी), (तसलसुल = श्रंखला, क्रम, सिलसिला), (ज़ौक़-ए-नज़र = पारखी, माहिर, विशेषज्ञ), (दवाम = नित्यता, स्थायित्व, निरंतरता, नित्य, हमेशा)

वो सहमा हुआ आँसुओं का तलातुम
वो आब-ए-रवाँ बे-ख़िराम अल्लाह-अल्लाह

(तलातुम = तूफ़ान, बाढ़, पानी का लहराना), (आब-ए-रवाँ = बहता हुआ पानी), (बे-ख़िराम = रुका हुआ)

शब-ए-वस्ल की साअतें मुख़्तसर सी
तमन्नाओं का इज़दिहाम अल्लाह-अल्लाह

(शब-ए-वस्ल = मिलान की रात), (साअत = मुहूर्त, क्षण, पल, समय), (मुख़्तसर = थोड़ा, कम, संक्षिप्त), (इज़दिहाम = भीड़, जन-समूह, जमाव)

वो ज़ब्त-ए-सुख़न में लबों की ख़ामोशी
नज़र का वो लुत्फ़-ए-कलाम अल्लाह-अल्लाह

(ज़ब्त-ए-सुख़न = बातचीत को दबाना), (लुत्फ़-ए-कलाम = बातचीत का आनंद)

ये जलता हुआ मेरा आशियाना
और बहारों का पैगाम अल्लाह अल्लाह





Wo mujhse hue hum-qalaam, allah allah
Kahaan main kahaan ye maqaam, allah allah

Ye roo-e-darekhshaan ye zulfon ke saaye
Ye hungaama-e-subah-o-shaam, allah allah

Ye bahekte hue shaikh ji ke kadam
Aur zubaan par khudaa ka naam, allah allah

Ye taubaa ka aalam, ye tishna-labi
Aur chalakta hua ye jaam, allah allah

-Sufi Tabassum


3 comments:

  1. एक और शेर-

    ये जलता हुआ मेरा आशियाना,
    और बहारों का पैगाम अल्लाह अल्लाह!!

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  2. Thankyou much for reviving this memory of this great man Jagjit

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