Tuesday 5 July 2016

Mil mil ke bichadne ka mazaa kyon nahi dete/ मिल मिल के बिछड़ने का मज़ा क्यों नहीं देते

मिल मिल के बिछड़ने का मज़ा क्यों नहीं देते
हर बार कोई ज़ख़्म नया क्यों नहीं देते

ये रात, ये तनहाई, ये सुनसान दरीचे
चुपके से मुझे आके सदा क्यों नहीं देते

(सदा = आवाज़)

है जान से प्यारा मुझे ये दर्द-ए-मोहब्बत
कब मैंने कहा तुमसे दवा क्यों नहीं देते

गर अपना समझते हो तो फिर दिल में जगह दो
हूँ ग़ैर तो महफ़िल से उठा क्यों नहीं देते

इक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते
गर हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते

-इब्राहिम अश्क़

Singer: Ghanshyam Vaswani, Music: Jagjit Singh



1 comment: