Wednesday 15 June 2016

Bekhudi le gayi kahan humko/ बेख़ुदी ले गयी कहाँ हम को

बेख़ुदी ले गयी कहाँ हम को
देर से इंतज़ार है अपना

(बेख़ुदी = बेख़बरी, आत्मविस्मृति)

रोते फिरते हैं सारी-सारी रात
अब यही रोज़गार है अपना

दे के दिल हम जो हो गए मजबूर
इस में क्या इख़्तियार है अपना

(इख़्तियार = अधिकार, काबू, प्रभुत्व)

कुछ नही हम मिसाल-ए-अन्क़ा लेक
शहर-शहर इश्तेहार है अपना

(अन्क़ा  = फ़ारसी कविता का एक काल्पनिक पक्षी। इसे दु:साध्य और दुर्लभ के सन्दर्भ में प्रयुक्त किया है), (लेक = लेकिन)

जिस को तुम आसमान कहते हो
सो दिलों का ग़ुबार है अपना

-मीर तक़ी मीर







Bekhudi le gayi kahan humko
Der se intzaar hain apna

Rote phirte hain saari saari raat
Ab yahin rojgar hai apna

Deke dil hum jo ho gaye majboor
Isme kya ikhtiyaar hai apna

Kuch nahi hum misaal-e-anka lek
Shahar-shahar ishtehaar hai apna

Jisko tum aasmaan kehate ho
So diloN ka gubaar hai apna

-Mir Taqi Mir

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