Thursday 4 February 2016

Na jaana aaj tak kya shai khushi hai \ ना जाना आज तक क्या शै खुशी है

ना जाना आज तक क्या शै खुशी है
हमारी ज़िन्दगी भी ज़िन्दगी है

(शै = वस्तु, पदार्थ, चीज़)

मोहब्बत में कभी सोचा है यूँ भी
कि तुमसे दोस्ती या दुश्मनी है

झलक मासूमियों में शोखियों की
बहुत रंगीन तेरी सादगी है

इसे सुन लो, सबब इसका ना पूछो
मुझे तुम से मोहब्बत हो गई है

(सबब = कारण)

कोई दम का हूँ मेहमां, मुँह ना फेरो
अभी आँखों में कुछ कुछ रोशनी है

-फ़िराक़ गोरखपुरी


इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

तेरे ग़म से शिकायत सी रही है
मुझे सचमुच बड़ी शर्मिन्द्गी है

ज़माना ज़ुल्म मुझ पर कर रहा है
तुम ऐसा कर सको तो बात भी है

सुना है इक नगर है आँसूओं का
उसी का दूसरा नाम आँख भी है

वही तेरी मोहब्बत की कहानी
जो कुछ भूली हुई, कुछ याद भी है

तुम्हारा ज़िक्र आया इत्तिफ़ाकन
ना बिगड़ो बात पर, बात आ गई है





Na jaana aaj tak kya shai khushi hai
Hamaari zindagi bhi zindagi hai

Mohabbat mein kabhi socha hai yun bhi
Ki tumse dosti ya dushmani hai

Jhalak masoomiyat mein shokhiyon ki
Bahut rangeen teri saadgi hai

Ise sun lo sabab iska na poocho
Mujhe tum se mohabbat ho gayi hai

Koi dum ka hoon mehmaan, munh na phero
Abhi aankhon mein kuch kuch roshni hai

-Firaq Gorakhpuri

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