Thursday 17 December 2015

Dil dhadakane kaa sabab yaad aayaa/ दिल धड़कने का सबब याद आया

दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी अब याद आया

(सबब = कारण)

दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से
फिर तेरा वादा-ए-शब याद आया

(वादा-ए-शब = रात का वादा)

हाल-ए-दिल हम भी सुनाते लेकिन
जब वो रुख़सत हुआ तब याद आया

बैठ कर साया-ए-गुल में 'नासिर'
हम बहुत रोये वो जब याद आया

(साया-ए-गुल = फूल की छाया)

-नासिर काज़मी


इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

आज मुश्किल था सम्भलना ऐ दोस्त
तू मुसीबत में अजब याद आया

तेरा भूला हुआ पैमान-ए-वफ़ा
मर रहेंगे अगर अब याद आया

फिर कई लोग नज़र से गुज़रे
फिर कोई शहर-ए-तरब याद आया

(शहर-ए-तरब = प्रसन्नता का शहर)


https://www.youtube.com/watch?v=fh2nV1o_dwE&list=TLkNaQmeYUn64wNTEyMjAxNQ&index=2


Dil dhadakane kaa sabab yaad aayaa
wo teri yaad thi ab yaad aayaa

Din gujaaraa thaa badee mushkil se
Fir teraa waadaa-e-shab yaad aayaa

Haal-e-dil hum bhi sunaate lekin
Jab wo rukhasat hua tab yaad aayaa

Baith kar saayaa-e-gul mein 'Nasir'
Hum bahot roye wo jab yaad aayaa

 -Nasir Kazmi

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