Sunday 1 February 2015

Raat ghataayen jaadu khushboo jiski zulphon ke paigaam/ रात घटायें जादू ख़ुशबू, जिसकी ज़ुल्फ़ों के पैग़ाम

रात घटायें जादू ख़ुशबू, जिसकी ज़ुल्फ़ों के पैग़ाम
दिल के वरक़ पर ढूँढ रहा हूँ, उस सादा चेहरे का नाम

(वरक़ = पृष्ठ, पन्ना)

तूने पहले देखा था, या मैंने, अब ये याद नहीं
सोच रहा हूँ किसको दूँ मैं, दिल की तबाही का इल्ज़ाम

बिक जायें बाज़ार में हम भी, लेकिन इससे क्या होगा
जिस क़ीमत पर तुम मिलते हो, उतने कहाँ है अपने दाम

तेरे मेरे बीच में कितनी, दीवारें हैं फिर भी तो
मेरी आँखें सुन लेती है, तेरी आँखों के पैग़ाम

हम भी कुछ नादान थे यारों, कितने ख़्वाब सजा बैठे
वक़्त भला क्या देता हमको, वक़्त को अपने काम से काम

जलती बुझती यादें लेकर, जब मुझसे मिलती है शाम
अक्सर दिल की दीवारों पर, लिख देता हूँ तेरा नाम

-मुमताज़ राशिद


Movie: Tejasvini

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