Sunday 1 February 2015

Arz-e-niyaz-e-ishq ke qaabil nahi raha/ अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
जिस दिल प नाज़ था मुझे, वह दिल नहीं रहा

(अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ = प्रेमाकांक्षा की अभिव्यक्ति), (नाज़ = अभिमान, गर्व)

मरने की, ऐ दिल और ही तदबीर कर, कि मैं
शायान-ए-दस्त-ओ-बाज़ु-ए-क़ातिल नहीं रहा

(तदबीर = उपाय, प्रयत्न, कोशिश), (शायान-ए-दस्त-ओ-बाज़ु-ए-क़ातिल = क़ातिल का हाथों और भुजाओं द्वारा क़त्ल किये जाने के योग्य)

गो मैं रहा रहीन-ए-सितमहा-ए-रोज़गार
लेकिन तिरे ख़याल से ग़ाफ़िल नहीं रहा

(गो = यद्यपि, अगरचे), (रहीन-ए-सितमहा-ए-रोज़गार = संसार के ज़ुल्म और अत्याचार का शिकार), (ख़याल = कल्पना, याद), (ग़ाफ़िल = बेसुध, बेख़बर, असावधान)

बेदाद-ए-इश्क़ से नहीं डरता, मगर 'असद'
जिस दिल पे नाज़ था मुझे, वह दिल नहीं रहा

(बेदाद-ए-इश्क़ = प्रेम का ज़ुल्म/ अत्याचार)

-मिर्ज़ा ग़ालिब


Arz-e-niyaz-e-ishq ke qaabil nahi raha
Jis dil pe naaz tha mujhe wo dil nahi raha

Marne ki ae dil aur hi tadbir kar k main
Shayaan-e-dast-o-baazu-e-qatil nahi raha

Go main rahaa raheen-e-sitamha-e-rozgar
Lekin tere khayaal se gaafil nahi raha

Bedad-e-ishq se nahi darta magar 'Asad'
Jis dil pe naaz tha mujhe wo dil nahi raha

-Mirza Ghalib

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