Saturday 24 January 2015

Tabiyat in dino begaana-e-gham hoti jaati hai/ तबीयत इन दिनों बेग़ाना-ए-ग़म होती जाती है

तबीयत इन दिनों बेग़ाना-ए-ग़म होती जाती है
मेरे हिस्से की गोया हर खुशी कम होती जाती है

क़यामत क्या ये ऐ हुस्न-ए-दोआलम होती जाती है
के महफ़िल तो वही है दिलकशी कम होती जाती है

वही मैख़ाना-ओ-सहबा वही साग़र वही शीशा
मगर आवाज़-ए-नोशानोश मद्धम होती जाती है

(सहबा = शराब), (नोशानोश = खूब पीना, बार बार पीना)

वही है शाहिद-ओ-साक़ी मगर दिल बुझता जाता है
वही है शम्मा लेकिन रोशनी कम होती जाती है

(शाहिद-ओ-साक़ी = प्रेमिका और साक़ी)

वही है ज़िन्दगी लेकिन 'जिगर' ये हाल है अपना
के जैसे ज़िन्दगी से ज़िन्दगी कम होती जाती है

-जिगर मुरादाबादी

                                                                 Singer: Vinod Sehgal



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