Sunday 4 January 2015

Ishq ki daastaan hai pyaare/ इश्क़ कि दास्तान है प्यारे

इश्क़ कि दास्तान है प्यारे
अपनी अपनी ज़ुबान है प्यारे

हम ज़माने से इन्तक़ाम तो लें
एक हसीं दरमियान है प्यारे

(इन्तक़ाम = बदला), (दरमियान = बीच, मध्य)

तू नहीं मैं हूँ, मैं नहीं तू है
अब कुछ ऐसा गुमान है प्यारे

(गुमान = भ्रम, वहम, शंका)

रख क़दम फूँक फूँक कर नादाँ
ज़र्रे ज़र्रे में जान है प्यारे

-जिगर मुरादाबादी


इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

कल तक ऐ दर्द ये तपाक न था
आज क्यूँ मेहरबान है प्यारे

साया-ए-इश्क़ से ख़ुदा ही बचाए
एक ही क़हर मान है प्यारे

इस को क्या कीजिए जो लब न खुलें
यूँ तो मुँह में ज़बान है प्यारे

ये तग़ाफ़ुल भी है निगह-आमेज़
इस में भी एक शान है प्यारे

(तग़ाफ़ुल = उपेक्षा), (निगह-आमेज़ = नज़रें मिलाना)

जिस ने ऐ दिल दिया है अपना ग़म
उस से तू बद-गुमान है प्यारे

दिल का आलम, निगाह क्या जाने
ये तो सिर्फ़ इक ज़बान है प्यारे

मेरे अश्कों में एहतिमाम न देख
आशिक़ी की ज़बान है प्यारे

(एहतिमाम = व्यवस्था, प्रबंध, बंदोबस्त)

इश्क़ की एक एक नादानी
इल्म-ओ-हिकमत की जान है प्यारे

(इल्म-ओ-हिकमत = विद्या, विवेक और तत्वज्ञान)

कहने सुनने में जो नहीं आती
वो भी इक दास्तान है प्यारे

किस को देखे से दिल को चोट लगी
क्यूँ ये उतरी कमान है प्यारे

तेरी बरहम-ख़िरामियों की क़सम
दिल बहुत सख़्त जान है प्यारे

(बरहम-ख़िरामियों = नाराज़गी में धीरे-धीरे नख़रे से चलना)

हाँ तिरे अहद में 'जिगर' के सिवा
हर कोई शादमान है प्यारे

 (अहद = समय, वक़्त, युग), (शादमान = ख़ुश, प्रसन्न)

Ishq ki daastaan hai pyaare
Apni apni zubaan hai pyaare

Hum zamaane se inteqaam to lein
Ek haseen darmiyaan hai pyaare

Too nahin main hoon, main nahin too hai
Ab kuch aisaa gumaan hai pyaare

Rakh qadam phoonk phoonk kar naadaan
Zarre zarre mein jaan hai pyaare

-Jigar Moradabadi

No comments:

Post a Comment