Saturday 24 January 2015

Dekhna jazb-e-mohabbat ka asar aaj ki raat / देखना जज़्ब-ए-मोहब्बत का असर आज की रात

देखना जज़्ब-ए-मोहब्बत का असर आज की रात
मेरे शाने पे है उस शोख़ का सर आज की रात

(जज़्ब-ए-मोहब्बत= प्यार का आकर्षण), (शाने= कंधे), (शोख़= शरारती, गुस्ताख़, हंसमुख)

नूर ही नूर है किस सिम्त उठाऊँ आँखें
हुस्न ही हुस्न है ता-हद्द-ए-नज़र आज की रात

(सिम्त = दिशा, ओर), (ता-हद्द-ए-नज़र =जहाँ तक नज़र जा सके उस सीमा तक)

नग़मा-ओ-मय का ये तूफ़ान-ए-तरब क्या कहना
मेरा घर बन गया ख़य्याम का घर आज की रात

(नग़मा-ओ-मय = गीत और शराब), (तूफ़ान-ए-तरब = खुशी का तूफ़ान), (ख़य्याम = उमर ख़य्याम - फ़ारसी के प्रसिद्द कवि)

नर्गिस-ए-नाज़ में वो नींद का हल्क़ा सा ख़ुमार
वो मेरे नग़्मा-ए-शीरीं का असर आज की रात

(नर्गिस-ए-नाज़ = नर्गिस(एक फूल का नाम) का बांकपन), (ख़ुमार = नशा), (नग़्मा-ए-शीरीं = मीठा गीत, गाने की मिठास)

-मजाज़ लखनवी



इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

और क्या चाहिए अब ए दिल-ए-मज़रूह तुझे
उस ने देखा तो ब-अंदाज़-ए-दिगर आज की रात

(दिल-ए-मज़रूह = घायल दिल), (ब-अंदाज़-ए-दिगर= एक अलग तरीक़े से)

फूल क्या ख़ार भी हैं आज गुलिस्ताँ-ब-कनार
संग-रेज़े हैं निगाहों में गुहर आज की रात

(ख़ार = काँटा), (गुलिस्ताँ-ब-कनार = बग़ीचे की गोद में ), (संग-रेज़े = कंकड़), (गुहर = मोती)

महव-ए-गुलगश्त हैं ये कौन मिरे दोश-ब-दोश
कहकशाँ बन गई हर राहगुज़र आज की रात

(महव-ए-गुलगश्त = बगीचों की सैर पर मोहित/मिटे हुए), (दोश-ब-दोश = पहलू, shoulder to shoulder, in a row), (कहकशाँ= आकाशगंगा)

फ़ूट निकला दर-ओ-दीवार से सैलाब-ए-नशात
अल्लाह अल्लाह मिरा कैफ़-ए-नज़र आज की रात

(सैलाब-ए-नशात= ख़ुशी/ उत्साह का दरिया), (कैफ़-ए-नज़र= दृष्टि का परमानंद)

शब्नमिस्तान-ए-तजल्ली का फ़ुसूँ क्या कहिए
चाँद ने फेंक दिया रख़्त-ए-सफ़र आज की रात

(शब्नमिस्तान-ए-तजल्ली = ओस की बूंदों की जगह की अभिव्यक्ति/वैभव/दीप्ति), (फ़ुसूँ= आकर्षण, जादू), (रख़्त-ए-सफ़र= यात्रा पर आवश्यक चीज़ें, यात्रा का सामान)

कस्र-ए-गीती में उमड़ आया है तूफ़ान-ए-हयात
मौत लर्ज़ा है पस-ए-पर्दा-ए-दर आज की रात

(कस्र-ए-गीती = दुनिया का महल), (तूफ़ान-ए-हयात = ज़िन्दगी का तूफ़ान), (लर्ज़ा = कंपकंपी, थरथरी), (पस-ए-पर्दा-ए-दर = दरवाज़े के परदे के पीछे)

अल्लाह अल्लाह वो पेशानी-ए-सिमीं का जमाल
रह गयी जम के सितारों की नज़र आज की रात

(पेशानी-ए-सिमीं = उज्ज्वल, चांदी जैसी भौंह), (जमाल = सौन्दर्य, शोभा)

आरिज़-ए-गर्म पे वो रंग-ए-शफ़क़ की लहरें
वो मिरी शोख़-निगाही का असर आज की रात

(आरिज़-ए-गर्म = गर्म गालों), (रंग-ए-शफ़क़= इंद्रधनुष के रंग)

मेरी हर साँस पे वो उन की तवज्जोह क्या ख़ूब
मेरी हर बात पे वो जुम्बिश-ए-सर आज की रात

(तवज्जोह = ध्यान), (जुम्बिश-ए-सर= सर का हिलाना, मंज़ूरी)

वो तबस्सुम ही तबस्सुम का जमाल-ए-पैहम
वो मोहब्बत ही मोहब्बत की नज़र आज की रात

(तबस्सुम = मुस्कुराहट), (जमाल-ए-पैहम = शाश्वत सौंदर्य)

उफ़ वो वारफ़्तगी-ए-शौक़ में इक वहम-ए-लतीफ़
कंपपकंपाये हुए होठों पे नज़र आज की रात

वारफ़्तगी-ए-शौक़ = चाहत/ अभिलाषा में खोया खोया रहना), (वहम-ए-लतीफ़ =  नर्म/ शुद्ध/ हल्का-फुल्का भ्रम)

मज़हब-ए-इश्क़ में जायज़ है यकीनन जायज़
चूम लूँ में लब-ए-लाली भी अगर आज की रात

(मज़हब-ए-इश्क़ = इश्क़ का धर्म), (जायज़ = वैध, कानूनी, सही), (लब-ए-लाली = होंठों की लाली)

अपनी रिफ़अत पे जो नाज़ाँ हैं तो नाज़ाँ ही रहे
कह दो अंज़ुम से कि देखे न इधर आज की रात

(रिफ़अत = ऊंचाई), (नाज़ाँ = अभिमानी), (अंज़ुम = सितारे)

उन के अल्ताफ़ का इतना ही फ़ुसूँ काफ़ी है
कम है पहले से बहुत दर्द-ए-जिग़र आज की रात

(अल्ताफ़ = अहसान, दया)





Dekhna jazb-e-mohabbat ka asar aaj ki raat
Mere shane pe hai us shokh ka sar aaj ki raat

Noor hi noor hai kis simt uthaaun aankhen
Husn hi husn hai ta-hadd-e-nazar aaj ki raat

Nagma-o-mai ka ye toofan-e-tarab kya kahna
Mera ghar ban gaya khayyam ka ghar aaj ki raat

Naris-e-naaz mein wo neend ka halka sa khumaar
Wo mere nagma e sheerin ka asar aaj ki raat

-Majaz Lakhnawi

2 comments:

  1. "Dosh ba dosh" meaning is bedside
    (pehlu ba pehlu)
    Thank for uploading this beautiful gazal

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