Thursday 29 January 2015

Ae husn-e-laalaafam zara aankh to mila/ ऐ हुस्न-ए-लालाफ़ाम ज़रा आँख तो मिला

ऐ हुस्न-ए-लालाफ़ाम ज़रा आँख तो मिला
ख़ाली पड़े हैं जाम ज़रा आँख तो मिला

(लालाफ़ाम = लाल रंग का)

कहते हैं आँख आँख से मिलना है बंदगी
दुनिया के छोड़ काम ज़रा आँख तो मिला

ये जाम, ये सुबू, वो तसव्वुर की चांदनी
साक़ी कहाँ मदाम ज़रा आँख तो मिला

(सुबू = शराब रखने का पात्र, घड़ा), (तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद), (मदाम = ?)

आ जायेगा यक़ीन ख़ुदा सबको यक-ब-यक
लेकर ख़ुदा का नाम ज़रा आँख तो मिला

(यक-ब-यक = अचानक, सहसा, अकस्मात्)

हैं राह-ए-कहकशाँ में अज़ल से खड़े हुए
'सागर' तेरे ग़ुलाम ज़रा आँख तो मिला

(राह-ए-कहकशाँ = आकाशगंगा की राह), (अज़ल = सृष्टि के आरम्भ, अनादिकाल)

-सागर सिद्दीक़ी


इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

क्या वो न आज आयेंगे तारों के साथ साथ
तनहाइयों की शाम ज़रा आँख तो मिला

साक़ी मुझे भी चाहिये इक जाम-ए-आरज़ू
कितने लगेंगे दाम ज़रा आँख तो मिला








Ae husn-e-laalaafam zara aankh to mila
Khaali pade hain jaam zara aankh to mila

Kahte hain aankh aankh se milna hai bandagi
Duniya ke chhor kaam zara aankh to mila

Ye jaam, ye suboo, ye tasavvur ki chaandni
Saaqi kahaan madaam zara aankh to mila

Aa jayega yakeen-e-khuda sabko yak-ba-yak
Lekar khdua ka naam zara aankh to mila

Hai raah-e-kahkashaan mein azal se khade huye
'Sagar' tere ghulam zara aankh to mila

-Sagar Siddhiqi

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