Monday 29 December 2014

Tujh ko darya-dili ki qasam saqiya/ तुझको दरियादिली की क़सम साक़िया

तुझको दरियादिली की क़सम साक़िया
मुस्तक़िल दौर पर दौर चलता रहे
रौनक़-ए-मैक़दा यूँ ही बढ़ती रहे
एक गिरता रहे इक सम्भलता रहे

(मुस्तक़िल = चिरस्थाई, निरंतर, लगातार)

सिर्फ शबनम ही शान-ए-गुलिस्ताँ नहीं
शोला-ओ-गुल का भी दौर चलता रहे
अश्क भी चश्म-ए-पुरनम से बहते रहे
और दिल से धुआँ भी निकलता रहे

(शबनम = ओस), (शान-ए-गुलिस्ताँ = बग़ीचे की शान), (अश्क = आँसू), (चश्म-ए-पुरनम = भीगी हुई आँखें)

तेरे कब्ज़े में हैं ये निज़ाम-ए-जहाँ
तू जो चाहे तो सहरा बने गुलसिताँ
हर नज़र पर तेरी फूल खिलते रहे
हर इशारे पे मौसम बदलता रहे

(सहरा = रेगिस्तान), (निज़ाम-ए-जहाँ = दुनिया का प्रबंध), (गुलसिताँ = बग़ीचा)

तेरे चेहरे पे ये ज़ुल्फ़ बिखरी हुई
नींद की गोद में सुबह निखरी हुई
और इस पर सितम ये अदाएं तेरी
दिल हैं आखिर कहाँ तक सम्भलता रहे

इस में ख़ून-ए-तमन्ना की तासीर हैं
ये वफ़ा-ए-मोहब्बत की तस्वीर हैं
ऐसी तस्वीर बदले ये मुमकीन नहीं
रंग चाहे ज़माना बदलता रहे

(तासीर = प्रभाव, असर)

वो हो शम्म-ए-फ़रोज़ाँ के गुलहा-ए-तर
दोनों से ज़ीनत-ए-अंजुमन है मगर
ए 'सबा' अपनी अपनी ये तक़दीर है
कोई हो सेज पर कोई जलता रहे

(शम्म-ए-फ़रोज़ाँ = प्रकाशमान चिराग़), (ज़ीनत-ए-अंजुमन = महफ़िल की शोभा)

-सबा अफ़गानी


Live in Pakistan




Tujh ko darya-dili ki qasam saqiya
Mustaqil daur par daur chalta rahe
Ronaq-e-maikada yoon hi badhati rahe
Ek girta rahe ik sambhalta rahe

Sirf shabnam hi shan-e-gulistan nahi
Shola-o-gul ka bhi daur chalta rahe
Ashk bhi chashm-e-purnam se bahte rahen
Aur dil se dhuaan bhi nikalta rahe

Tere kabze mein hai ye nizam-e-jahan
Tu jo chahe to sehara bane gulsitan
Har nazar par teri phool khilte rahe
Har ishare pe mausam badalta rahe

Tere chehre pe ye zulf bikhri hui
Neend ki goud mein subah nikhri hui
Aur is par sitam ye adayain teri
Dil hai Akhir kahan tak sambhalta rahe

Is mein khoon-e-tamanna ki taseer hai
Ye wafaa-e-mohabbat ki tasveer hai
Aisi tasveer badle ye mumkin nahi
Rang chaahe zamaana badalta rahe

-Saba Afghani

5 comments:

  1. Deepankar जी ,मक़ता पेश है-

    वो हो शम्म-ए-फिरोज़ां के गुलहा-ए-तर
    दोनों से ज़ीनत-ए-अंजुमन है मगर
    ए 'सबा' अपनी अपनी ये तक़दीर है
    कोई हो सेज पर कोई जलता रहे...

    Manoj Kashyap.

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया मनोज जी

      Delete
    2. Jagjit sahab kaa kaun se album se ye gazal hai

      Delete