Monday 29 December 2014

Todkar ahed-e-karam naashnaa ho jaayiye/ तोड़कर अहद-ए-करम नाआशना हो जाइये

तोड़कर अहद-ए-करम नाआशना हो जाइये
बंदापरवर जाइये अच्छा ख़फ़ा हो जाइये

(अहद-ए-करम = कृपा करने का वादा), (नाआशना = अजनबी, दुश्मन)

राह में मिलिये कभी मुझ से तो अज़ राह-ए-सितम
होंठ अपने काटकर फ़ौरन जुदा हो जाइये

(अज़ राह-ए-सितम = सितम के रास्ते से, ज़ुल्म करने के वास्ते)

जी में आता है के उस शौक़-ए-तग़ाफ़ुल केश से
अब ना मिलिये फिर कभी और बेवफ़ा हो जाइये

(शौक़-ए-तग़ाफ़ुल केश = बेरुख़ी/ उपेक्षा की इच्छा रखने वाला)

हाय री बेइख़्तियारी ये तो सब कुछ हो मगर
उस सरापा नाज़ से क्यूँ कर ख़फ़ा हो जाइये

(बेइख़्तियारी = अपनेआप पर काबू न रख पाना, बेबसी), (सरापा नाज़ = बहुत ख़ूबसूरत, सर से पाँव तक सुन्दर)

-हसरत मोहानी


Todkar ahed-e-karam naashnaa ho jaayiye
Bandaparwar jaaiye, achha khafa ho jaaiye

Raah mein miliye kabhi mujhse to az raah-e-sitam
honth apne kaat kar fauran juda ho jaaiye

Jee mein aata hai ke us shokh-e-tagaful kesh se
Ab na miliye phir kabhi aur bewafa ho jaaiye

Hai ri be-ikhtiyari ye to sab kuch ho magar
us sarapa naaz se kyoonkar khafa ho jaaiye

-Hasrat Mohani

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