Sunday 30 November 2014

Wo rulakar hans na paya der tak/ वो रुलाकर हँस ना पाया देर तक

वो रुलाकर हँस न पाया देर तक
जब मैं रोकर मुस्कुराया देर तक

भूलना चाहा अगर उस को कभी
और भी वो याद आया देर तक

भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये
माँ ने फिर पानी पकाया देर तक

गुनगुनाता जा रहा था इक फ़क़ीर
धूप रहती है ना साया देर तक

-नवाज़ देवबंदी


इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

नाख़लफ़ बेटे तो दर्द-ए-सर बने
बेटियों ने सर दबाया देर तक

(नाख़लफ़ = कुपुत्र)

खुद ब खुद बेसाख़्ता मैं हँस पड़ा
उसने इस दरजा रूलाया देर तक

(बेसाख़्ता = सहसा, अचानक)

कल अंधेरी रात में मेरी तरह
एक जुगनू जगमगाया देर तक

चुपके चुपके मेरी ग़ज़लों को 'नवाज़'
दुश्मनों ने गुनगुनाया देर तक


Wo rulakar hans na paya der tak
Jab main rokar muskuraaya der tak

Bhoolna chaaha agar usko kabhi
Aur bhi wo yaad aaya der tak

Bhookhe bachchon ki tasalli ke liye
Maa ne phir paani pakaaya der tak

Gungunata jaa raha tha ik fakeer
Dhoop rehti hai na saaya der tak

-Nawaz Deobandi

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