Saturday 25 October 2014

Ye na thi hamari qismat, ke visaal-e-yaar hota/ ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता

ये न थी हमारी क़िस्मत, के विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इन्तिज़ार होता

(विसाल-ए-यार = प्रियतम से मिलन)

तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता

(ऐतबार = विश्वास)

ये कहाँ की दोस्ती है, के बने हैं दोस्त, नासेह
कोई चारासाज़ होता, कोई ग़मगुसार होता

(नासेह = उपदेशक), (चारासाज़ = उपचारक, चिकित्सक), (ग़मगुसार = हमदर्द, दुःख बंटानेवाला)

कहूँ किससे मैं कि क्या है, शब-ए-ग़म बुरी बला है
मुझे क्या बुरा था मरना, अगर एक बार होता

(शब-ए-ग़म = ग़म की रात)

कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीमकश को
ये ख़लिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता

(तीर-ए-नीमकश = आधा खिंचा हुआ तीर, कमज़ोर तीर), (ख़लिश = चुभन, वेदना)

ये मसाईल-ए-तसव्वुफ़ ये तिरा बयान 'ग़ालिब'
तुझे हम वली समझते जो न बादा-ख़्वार होता

(मसाइल-ए-तसव्वुफ़ = सूफियाना भेद, भक्ति की समस्याएँ), (बयान = वर्णन), (वली = पाक इंसान, ऋषि, मुनि), (
बादा-ख़्वार = शराबी)

-मिर्ज़ा ग़ालिब



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Ye na thi hamari qismat, ke visaal-e-yaar hota
Agar aur jeete rahate yahi intezar hota

Tere vade par jiye ham to ye jaan jhooth jana
Ke khushi se mar na jate agar aitabar hota

Ye kahan ki dosti hai, ke bane hain dost naaseh
Koi chaarasaz hota, koi ghamgusaar hota

Kahun kis se main ke kya hai, shab-e-gham buri balaa hai
Mujhe kya bura tha marna, agar ek baar hota

Koi mere dil se poochhe tere teer-e-neemkash ko
Ye khalish kahan se hoti, jo jigar ke paar hota

Ye masaayil-e-tasavvuf ye tera bayaan 'Gaalib'
Tujhe hum wali samajhte jo na baada-khwaar hota

-Mirza Ghalib


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