Saturday 4 October 2014

Patta patta boota boota haal hamaara jaane hai/ पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है

पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है
जाने न जाने गुल ही न जाने, बाग़ तो सारा जाने है

(गुल = गुलाब, फूल)

चारागरी बीमारी-ए-दिल की रस्म-ए-शहर-ए-हुस्न नहीं
वर्ना दिलबर-ए-नादाँ भी इस दर्द का चारा जाने है

(चारागरी = इलाज करना), (बीमारी-ए-दिल = दिल की बीमारी), (रस्म-ए-शहर-ए-हुस्न = हुस्न वालों के शहर  की प्रथा), (दिलबर-ए-नादाँ = नादान प्रियतम), (चारा = उपाय, तरकीब)

मेहर-ओ-वफ़ा-ओ-लुत्फ़-ओ-इनायत एक से वाक़िफ़ इन में नहीं
और तो सब कुछ तन्ज़-ओ-किनाया रम्ज़-ओ-इशारा जाने है

(मेहर = दया, कृपा, मेहरबानी), (लुत्फ़-ओ-इनायत = भलाई और कृपा), (वाक़िफ़ = जाननेवाला, सब बातों से परिचित), (तन्ज़-ओ-किनाया = व्यंग्य/ताना और संकेत/ इशारा), (रम्ज़ =  आखों आदि का संकेत, रहस्य)

-मीर तक़ी मीर




Patta patta boota boota haal hamaara jaane hai
jaane na jaane gul hi na jaane baagh to saara jaane hai

chaaragari beemari-e-dil ki rasm-e-shehar-e-husn nahi
varna dilbar-e-naadan bhi is dard ka charaa jaane hai

mehar-o-wafaa-o-lutf-o-inaayat ek se waaqif in me nahiN
aur to sab kuch tanj-o-kinaaya ramz-o-ishara jaane hai

-Mir Taqi Mir

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