Sunday 19 October 2014

Jeevan kya hai chalta phirta ek khilona hai/ जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है

जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है
दो आँखों में एक से हँसना एक से रोना है

जो जी चाहे वो मिल जाये कब ऐसा होता है
हर जीवन, जीवन जीने का, समझौता होता है
अब तक जो होता आया है वो ही होना है

रात अँधेरी भोर सुनहरी यही ज़माना है
हर चादर में दुख का ताना सुख का बाना है
आती साँस को पाना जाती साँस को खोना है

-निदा फ़ाज़ली



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चलते चलते राह में यूँ ही रस्ता मुड़ जाता है
अनजाने में अनजाने से रिश्ता जुड़ जाता है
किसे पता है किस रस्ते में कब क्या होना है

बीत गया जो वो हर पल आगे क्यों चलता है
राख हुये अंगारे कब के फिर भी दिल जलता है
भूली बिसरी यादों को अश्कों से धोना है

दो चेहरों से जीना भी कैसी मजबूरी है
जितना जो नज़दीक है उससे उतनी दूरी है
फूलों के सपने लेकर काँटों पे सोना है





Jeevan kya hai chalta phirta ek khilona hai
do aankhon me ek se hasna ek se rona hai

jo jee chahe woh mil jaaye kab aisa hota hai
har jeevan, jeevan jeene ka, samjhouta hota hai
abtak jo hota aaya hai wohi hona hai

raat andheri bhor sunheri yahi zamana hai
har chaadar me dukh ka taana sukh ka baana hai
aati saans ko paana jaati saans ko khona hai

-Nida Fazli

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