Friday 31 October 2014

Jaate jaate wo mujhe achchhi nishaani de gayaa/ जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया

जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊंगा ऐसी कहानी दे गया

उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बराए मेहरबानी दे गया

(बराए मेहरबानी = मेहरबानी  के वास्ते, मेहरबानी के लिए)

सब हवाएँ ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझको एक कश्ती बादबानी दे गया

(कश्ती बादबानी = पाल वाली नाव )

ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उसने इतना तो किया
मेरी पलकों की क़तारों को वो पानी दे गया

-जावेद अख़्तर




Jaate jaate wo mujhe achchhi nishaani de gayaa
Umr bhar dohraaoongaa aisi kahaani de gayaa

Us se main kuch paa sakoon aisi kahaan ummeed thi
Gham bhi wo shaayad baraaye meharbaani de gayaa

Sab hawaayen le gayaa mere samandar ki koi
Aur mujhko ek kashti baadbaani de gayaa

Khair main pyaasaa rahaa par usne itnaa to kiyaa
Meri palkon ki qataaron ko wo paani de gayaa

-Javed Akhtar

1 comment:

  1. जाते जाते मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया

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