Friday 24 October 2014

Gham mujhe hasrat mujhe wehshat mujhe sauda mujhe/ ग़म मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे

ग़म मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे
एक दिल देके ख़ुदा ने दे दिया क्या क्या मुझे

(हसरत = कामना), (वहशत = पागलपन, दीवानगी), (सौदा  = उन्माद)

है हुसूल-ए-आरज़ू का राज़ तर्क-ए-आरज़ू,
मैंने दुनिया छोड़ दी तो मिल गई दुनिया मुझे

(हुसूल-ए-आरज़ू = इच्छा-पूर्ती), (तर्के-आरज़ू = इच्छाओं का त्याग)

ये नमाज़-ए-इश्क़ है कैसा अदब किसका अदब
अपने पा-ए-नाज़ पर करने भी दो सजदा मुझे

(नमाज़-ए-इश्क़ = प्रेम की प्रार्थना/ पूजा), (अदब = आदर), (पा-ए-नाज़ = प्रेमिका के पैर)

देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊँगा
देखती की देखती रह जाएगी दुनिया मुझे

-सीमाब अकबराबादी




इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

कह के सोया हूँ ये अपने इज़्तराब-ए-शौक़ से
जब वो आयेँ क़ब्र पर फ़ौरन जगा देना मुझे

(इज़्तराब-ए-शौक़ = चाहत/ अभिलाषा की बैचैनी/ व्याकुलता)

सुबह तक क्या क्या तेरी उम्मीद ने ताने दिये
आ गया था शाम-ए-ग़म एक नींद का झोंका मुझे







Gham mujhe hasrat mujhe wehshat mujhe sauda mujhe
Ek dil dekar kuhda ne de diya kya kya mujhe

Hai Husool-e-aarzoo ka raaz tarq-e-aarzoo
Maine dunia chhod di to mil gayi dunia mujhe

Ye namaz-e-ishq hai kaisa adab kiska adab
Apne paa-e-naaz par karne bhi do sazda mujhe

Dekhte hi dekte duniya se main uth jaaoonga
Dekhti ki dekhti reh jaayegi duniya mujhe

-Seemab Akbarabadi

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