Saturday 18 October 2014

Gham ka khazana tera bhi hai mera bhi/ ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है मेरा भी

ग़म का ख़ज़ाना तेरा भी है मेरा भी
ये नज़राना तेरा भी है मेरा भी

अपने ग़म को गीत बना कर गा लेना
राग पुराना तेरा भी है मेरा भी

तू मुझ को और मैं तुझ को समझाऊँ क्या
दिल दीवाना तेरा भी है मेरा भी

शहर में गलियों गलियों जिस का चर्चा है
वो अफ़साना तेरा भी है मेरा भी

मैख़ाने की बात न कर वाइज़ मुझ से
आना जाना तेरा भी है मेरा भी

(वाइज़ = धर्मोपदेशक)

-शाहिद कबीर



इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

कौन है अपना कौन पराया क्या सोचें
छोड़ ज़माना तेरा भी है मेरा भी

जैसा भी है ‘शाहिद’ को अब क्या कहिए
यार पुराना तेरा भी है मेरा भी








Gham ka khazana tera bhi hai mera bhi
ye nazraana tera bhi hai mera bhi

apne gham ko geet bana kar gaa lena
raag purana tera bhi hai mera bhi

tu mujhko aur main tujhko samjhaaoon kya
dil deewana tera bhi hai mera bhi

shehar mein galiyon galiyon jiska charcha hai
wo afsaana tera bhi hai mera bhi

maikhaane ki baat na kar waaiz mujhse
aana-jaana tera bhi hai mera bhi

-Shahid Kabir

1 comment:

  1. मैख़ाने की बात न कर वाइज़ मुझ से
    आना जाना तेरा भी है मेरा भी...
    बहुत गहरा मतलब है -दुनिया का बंदा दुनिया के मयखाने में अपनी प्यास भूजाता है और जो प्रभु का दीवाना होता है वो प्रभु के मयखाने में डुबकी लगाता है।



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