Thursday 23 October 2014

Duniya jise kahate hain jaadu ka khilona hai/ दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाये तो मिट्टी है खो जाये तो सोना है

अच्छा-सा कोई मौसम तन्हा-सा कोई आलम
हर वक़्त का रोना तो बेकार का रोना है

(आलम = अवस्था, दशा, संसार, दुनिया)

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है

-निदा फ़ाज़ली


इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर :

ये वक़्त जो तेरा है, ये वक़्त जो मेरा
हर गाम पर पहरा है, फिर भी इसे खोना है

(गाम = कदम, पग)

आवारा मिज़ाजी ने फैला दिया आंगन को
आकाश की चादर है धरती का बिछौना है





Duniya jise kahate hain jaadu ka khilona hai
Mil jaaye to mittii hai kho jaaye to sonaa hai

achchhaa saa koi mausam tanahaa sa koi aalam
har waqt ka ronaa to bekaar ka ronaa hai

barsaat kaa baadal to deewana hai kya jaane
kis raah se bachana hai kis chhat ko bhigonaa hai

gham ho ki khushi donon kuch der ke saathi hain
phir rasta hi rasta hai hasanaa hai na ronaa ha

-Nida Fazli

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