Friday 3 October 2014

Dil ko kya ho gaya khuda jaane/ दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने
क्यों है ऐसा उदास क्या जाने

कह दिया मैं ने हाल-ए-दिल अपना
इस को तुम जानो या ख़ुदा जाने

जानते जानते ही जानेगा
मुझ में क्या है वो अभी क्या जाने

तुम न पाओगे सादा दिल मुझसा
जो तग़ाफुल को भी हया जाने

(तग़ाफुल = बेरुखी, उपेक्षा), (हया  = लाज, शर्म)

-दाग़ देहलवी

इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

अपने ग़म में भी उस को सरफ़ा है
न खिला जाने वो न खा जाने

(सरफ़ा = व्यय, ख़र्च)

इस तजाहुल का क्या ठिकाना है
जान कर जो न मुद्दआ जाने

(तजाहुल = बेख़बर, जान कर अनजान बनना)

कह दिया मैं ने राज़-ए-दिल अपना
उस को तुम जानो या ख़ुदा जाने

जो हो अच्छा हज़ार अच्छों का
वाइज़ उस बुत को तू बुरा जाने

क्या ग़रज़ क्यूँ इधर तवज्जोह हो
हाल-ए-दिल आपकी बला जाने

क्या हम उस बदगुमाँ से बात करें
जो सताइश को भी गिला जाने

(बदगुमाँ = संदेह करने वाला), (सताइश = प्रशंसा, तारीफ़), (गिला = उलाहना, शिकायत)

है अबस जुर्म-ए-इश्क़ पर इलज़ाम
जब ख़तावार भी ख़ता जाने

(अबस = व्यर्थ, नाहक), (ख़तावार = दोषी, कुसूरवार, गुनहगार), (ख़ता = दोष, अपराध, गुनाह)

नहीं कोताह दामन-ए-उम्मीद
आगे अब दस्त-ए-ना-रसा जाने

(कोताह = छोटा, कम), (दस्त-ए-ना-रसा = हाथ जो पहुँच के बाहर हो)

जो हो अच्छा हज़ार अच्छों का
वाइज़ उस बूत को तू बुरा माने

(वाइज़ = धर्मोपदेशक)

की मिरी कद्र मिस्ल-ए-शाह-ए-दकन
किसी नवाब ने न राजा ने

(मिस्ल-ए-शाह-ए-दकन = दक्षिण के राजा की तरह)

उससे उठ्ठेगी क्या मुसीबत-ए-इश्क़
इब्तिदा को जो इंतिहा जाने

(इब्तिदा = आरम्भ, प्रारम्भ), (इंतिहा  = अंत)

'दाग' से कह दो अब ना घबराओ
काम अपना बता हुआ जाने





Dil ko kya ho gaya khuda jaane
kyoon hai aisa udaas kya jaane

keh diya maine haal-e-dil apnaa
isko tum jaano ya khuda jaane

jaante jaante hi jaanega
mujhme kya hai abhi wo kya jaane

tum na paaoge sada dil mujhsa
jo tagaful ko bhi hayaa jaane

-Daagh Dehlvi

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