Friday 24 October 2014

Der lagi aane mein tumko shukr hai fir bhi aaye to/ देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो

देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो
आस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो

शफ़क़, धनुक, महताब, घटाएँ, तारे, नग़मे, बिजली, फूल
उस दामन में क्या कुछ है, वो दामन हाथ में आए तो

(शफ़क़ = किरणे, सवेरे या शाम की लालिमा जो क्षितिज पर होती है), (धनुक = इन्द्रधनुष), (महताब = चन्द्रमा)

झूठ है सब तारीख़ हमेशा अपने को दोहराती है
अच्छा मेरा ख्व़ाब-ए-जवानी थोड़ा सा दोहराए तो

सुनी सुनाई बात नहीं है अपने ऊपर बीती है
फूल निकलते हैं शोलों से चाहत आग लगाए तो

-अन्दलीब शादानी



इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

यूँ ही बे-समझे बूझे तुमने गेसू लहराये तो
कोई इस तूफ़ान-ए-बला में दीवाना हो जाए तो

(गेसू = बाल, ज़ुल्फ़ें)

अब्र,शफ़क़,महताब,सितारे,बिजली,नगमे,शबनम,फूल
उस दामन में क्या कुछ है,हाथ वो दामन आए तो

(अब्र = बादल), (शबनम = ओस)

चाहत के बदले में हम तो बेच दे अपनी मर्ज़ी तक
कोई मिले तो दिल का ग्राहक कोई हमें अपनाए तो

औरो की रूदाद नहीं है अपने ऊपर बीती है
फूल निकलते है शोलों से चाहत आग लगाए तो

(रूदाद = समाचार, वृतांत, दशा, विवरण)

नादानी और मजबूरी में कुछ तो यारों फ़र्क करो,
एक बेबस इन्सान करे क्या टूट के दिल आ जाए तो

अपनी बर्बादी का तन्हा एक हमी को रंज नहीं,
अपने किये पर आखिर आखिर वो भी कुछ पछताये तो

रूसवाई के घर से कोई राज़-ए-मोहब्बत छुपता है
आहें रोकी, आँसू रोके, रंज मगर उड़ जाये तो



Live in Kenya











Der lagi aane mein tumko shukr hai fir bhi aaye to
aas ne dil ka saath na chodhaa waise hum ghabraaye to

shafak dhanuk mehtaab ghataayeN taare naghmeN biJli phool
us daaman meiN kya kya kuch hai wo daaman haath meiN aaye to

jhooth hai sab taarikh hamesha apne ko dohraati hai
achcha mera khwaab-e-jawaani thoda sa dohraaye to

suni sunaayi baath nahin hai apne upar beeti hai
phool nikalte haiN sholoN se chaahat aag lagaaye to

-Andleeb Shadani

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