Friday 24 October 2014

Chale bhi aao wo hai kabr-e-faani dekhte jaao/ चले भी आओ वो है कब्र-ए-'फ़ानी' देखते जाओ

चले भी आओ वो है कब्र-ए-'फ़ानी' देखते जाओ
तुम अपने मरने वाले की निशानी देखते जाओ

अभी क्या है किसी दिन ख़ूँ रुलायेगी ये ख़ामोशी
ज़ुबान-ए-हाल की जद्द-ओ-बयानी देखते जाओ

(ज़ुबान-ए-हाल = जीभ की दशा), (जद्द-ओ-बयानी = कोशिश और वर्णन)

ग़रूर-ए-हुस्न का सदक़ा कोई जाता है दुनिया से
किसी की ख़ाक में मिलती जवानी देखते जाओ

(ग़रूर-ए-हुस्न = सुंदरता का घमंड), (सदक़ा = खैरात, निछावर, उतारा)

सुने जाते न थे तुम से मेरे दिन रात के शिकवे
कफ़न सरकाओ मेरी बे-ज़ुबानी देखते जाओ

-फ़ानी बदायूनी



इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:

माल-ए-सोज़-ए-ग़म हाए! निहानी देखते जाओ
भड़क उठी है शम्मा-ए-ज़िंदगानी देखते जाओ

(माल-ए-सोज़-ए-ग़म = दुःख की जलन/ तपिश की संपत्ति), (निहानी = भीतरी, आंतरिक, अंदरूनी)

उधर मूँह फेर कर क्या ज़िबह करते हो, इधर देखो!
मेरी गर्दन पे ख़ंजर की रवानी देखते जाओ

(ज़िबह = जिसका वध किया गया हो),

बहार-ए-ज़िन्दगी का लुत्फ़ देखा है और देखोगे
किसी का ऐश मर्ग-ए-नागहानी देखते जाओ

(मर्ग-ए-नागहानी = अचानक होने वाली मृत्यु)

वो उठा शोर-ए-मातम आख़री दीदार-ए-मय्यत पर
अब उठा चाहते हैं नाश-ए-'फ़ानी' देखते जाओ

(दीदार-ए-मय्यत = अर्थी का दर्शन), (नाश = मृत शरीर, लाश)





Chale bhi aao wo hai kabr-e-faani dekhte jaao
Tum apne marne waale ki nishaani dekhte jaao

Abhi kya hai kisi din khoon rulaayegi ye khaamoshi
Zubaan-e-haal ki zaadd-o-bayaani dekhte jaao

Guroor-e-husn ka sadka koi jaata hai duniya se
Kisi ki khaak mein milti jawaani dekhte jaao

Sune jaate na the tumse mere din-raat ke shikwe
Kafan sarkao meri bezubaani dekhte jaao

-Faani Badayuni

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