Saturday 4 October 2014

Bazm-E-Dushman Mein Bulate Ho/ बज़्म-ए-दुश्‍मन में बुलाते हो ये क्या करते हो

बज़्म-ए-दुश्‍मन में बुलाते हो ये क्या करते हो
और फिर आँख चुराते हो ये क्या करते हो

(बज़्म-ए-दुश्‍मन = शत्रुओं की महफ़िल)

बाद मेरे कोई मुझसा न मिलेगा तुम को
ख़ाक में किस को मिलाते हो ये क्या करते हो

हम तो देते नहीं क्या ये भी ज़बरदस्ती है
छीन कर दिल लिए जाते हो ये क्या करते हो

छींटे पानी के न दो नींद भरी आँखों पर
सोते फ़ितने को जगाते हो ये क्या करते हो

(फ़ितना = उपद्रव, लड़ाई-झगड़ा)

हो न जाए कहीं दामन का छुड़ाना मुश्‍किल
मुझ को दीवाना बनाते हो ये क्या करते हो

उस सितमकेश के चकमों में न आना 'बेख़ुद'
हाल-ए-दिल किस को सुनाते हो ये क्या करते हो

(सितमकेश = जिसका स्वाभाव ही अत्याचार करना हो, बहुत बड़ा अन्याई)

-'बेख़ुद' देहलवी


इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर :

कर चुके बस मुझे पामाल अदू के आगे
क्यूँ मेरी ख़ाक उड़ाते हो ये क्या करते हो

[(पामाल = दुर्दशाग्रस्त, पैरों के तले कुचला हुआ), (अदू = विरोधी, शत्रु, रक़ीब)]

मुहतसिब एक बलानोश है ऐ पीर-ए-मुगाँ
चाट पर किस को लगाते हो ये क्या करते हो

(मुहतसिब = हिसाब लेने वाला, पूछ-ताछ करने वाला, वह कर्मचारी जो लोगों को शराब पीने से रोके, मद्यनिरोधक), (बलानोश = बड़ा शराबी, बहुत शराब पीने वाला), (पीर-ए-मुगाँ = मदिरालय का बूढ़ा प्रबंधक)

काम क्या दाग़-ए-सुवैदा का हमारे दिल पर
नक़्श-ए-उल्फ़त को मिटाते हो ये क्या करते हो

(दाग़-ए-सुवैदा = दिल पर काला धब्बा या दाग़), (नक़्श-ए-उल्फ़त = प्यार का निशान)

फिर उसी मुँह पे नज़ाकत का करोगे दावा
ग़ैर के नाज़ उठाते हो ये क्या करते हो





Bazm-E-Dushman Mein Bulate Ho Ye Kya Karte Ho
Aur Phir Aankh Churate Ho Ye Kya Karte Ho

Baad Mere Koi Mujhsa Na Milega Tum Ko
Khaak Me Kis Ko Milate Ho Ye Kya Karte Ho

Hum To Dete Nahi Kya Ye Bhi Zabardasti Hai
Cheen Kar Dil Liye Jate Ho Ye Kya Karte Ho

Cheente Paani Ke Na Do Neend Bhari AankhoN Par
Soote Fitne Ko Jagate Ho Ye Kya Karte Ho

Ho Na Jaye KahiN Daaman Ka Chudana Mushkil
Mujh Ko Deewana Banate Ho Ye Kya Karte Ho

Us Sitamkesh ke Chakmon me na aana 'Bekhud'
Haal-e-dil kis ko sunaate ho Ye Kya Karte Ho

-Bekhud Dehlvi

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