Friday 29 August 2014

Shamm-e-mazaar thi na koi sogwaar tha/ शम्अ-ए-मज़ार थी ना कोई सोग़वार था

शम्अ-ए-मज़ार थी ना कोई सोग़वार था
तुम जिस पे रो रहे थे वो किसका मज़ार था

(शम्अ-ए-मज़ार = कब्र पर जलाया जाने वाला चिराग़), (सोग़वार = शोकग्रस्त)

तडपूंगा उम्र भर दिल-ऐ-मरहूम के लिए
कमबख़्त नामुराद लड़कपन का यार था

(दिल-ऐ-मरहूम = मृत/ मरा हुआ दिल), (कमबख़्त = बदक़िस्मत), (नामुराद = अभागा, बदनसीब)

जादू है या तिलिस्म तुम्हारी ज़बान में
तुम झूट कह रहे थे मुझे एतबार था

(एतबार = भरोसा, विश्वास)

क्या क्या हमारे सजदे की रुस्वाइयाँ हुईं
नक़्श-ए-क़दम किसी का सर-ए-रहगुज़ार था

[(सजदा = माथा टेकना, सिर झुकाना), (रुस्वाइयाँ  = बदनामियाँ), (नक़्श-ए-क़दम = पाँव का निशान, पदचिन्ह), (सर-ए-रहगुज़ार = रास्ते में)]

-बेख़ुद देहलवी





Shamm-e-mazaar thi na koi sogwaar tha
tum jis pe ro rahe the wo kiska mazaar tha
 
tadpoonga umr bhar dil-e-marhoom ke liye
kambakht naamuraad ladakpan ka yaar tha

jaadoo hai ya tilism tumhari jubaan mein
tum jhoot keh rahe the mujhe aetbaar tha

kya kya hamare sazde kee ruswaaeeyan huyeen
naksh-e-kadam kisi ka sar-e-rehguzaar tha

-Bekhud Dehlvi

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