Monday 25 August 2014

Pareshan raat sari hai/ परेशाँ रात सारी है

परेशाँ रात सारी है, सितारों तुम तो सो जाओ
सुकूते-मर्ग तारी है, सितारों तुम तो सो जाओ

(सुकूते-मर्ग = मौत की ख़ामोशी), (तारी = आ घेरना, छाना)

तुम्हें क्या आज भी कोई अगर मिलने नहीं आया
ये बाज़ी हमने हारी है सितारों तुम तो सो जाओ

कहे जाते हो रो-रो के हमारा हाल दुनिया से
ये कैसी राज़दारी है सितारों तुम तो सो जा

हमें तो आज की शब पौ फटे तक जागना होगा
यही क़िस्मत हमारी है, सितारों तुम तो सो जाओ

(शब = रात)

हमें भी नींद आ जाएगी, हम भी सो ही जाऐंगे
अभी कुछ बेक़रारी है, सितारों तुम तो सो जाओ

-क़तील शिफ़ाई

इसी ग़ज़ल का एक और शेर:

हँसो और हँसते-हँसते डूबते जाओ ख़लाओं में
हमें ये रात भारी है सितारों तुम तो सो जाओ

(ख़लाओं में = शून्य में)



जगजीत सिंह 


चित्रा सिंह 

Pareshan raat sari hai sitaron tum so jao
Sukut-e-marg taari hai sitron tum to so jao

Tumhen kya aaj bhi koi agar milne nahi aaya
Ye baazi humne haari hai sitron tum to so jao

Kahe jaate ho ro-ro ke humaara haal duniya se
Ye kaisi raazdaari hai sitron tum to so jao

Hame to aaj ki shab pau-fate tak jaagna hoga
Yahi kismat hamari hai sitaron tum to so jao

Hame bhi neend aa jayegi hum bhi so hi jayenge
Abhi kuch bekarari hai sitaro tum to so jao

-Qateel Shifai

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