Wednesday 27 August 2014

Kabhi to khul ke baras/ कभी तो खुल के बरस

कभी तो खुल के बरस अब्र-ए-मेहरबाँ की तरह,
मेरा वजूद है जलते हुए मकाँ की तरह

(अब्र-ए-मेहरबाँ = मेहरबान बादल), (वजूद  = आस्तित्व)

मैं इक ख़्वाब सही आपकी अमानत हूँ,
मुझे संभाल के रखियेगा जिस्म-ओ-जाँ की तरह

(अमानत = धरोहर)

कभी तो सोच के वो शख़्स किस कदर था बुलंद,
जो बिछ गया तेरे क़दमों में आस्माँ की तरह

बुला रहा है मुझे फिर किसी बदन का बसंत,
गुज़र न जाए ये रुत भी कहीं ख़िज़ाँ की तरह

(ख़िज़ाँ = पतझड़)

-प्रेम वरबाटोनी

इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर

भरी बहार का सीना है ज़ख़्म ज़ख़्म मगर
सबा ने गाई हैं लोरी शफ़ीक़ मन की तरह

(सबा = हवा), (शफ़ीक़ = दयालु)

वो कौन था जो बरहना बदन चट्टानों से
लिपट गया था कभी बह्र-ए-बेकराँ की तरह

(बरहना = नग्न, नंगा), (बह्र-ए-बेकराँ = अंतहीन समुद्र)

सकूत-ए-दिल तो जज़ीरा है बर्फ़ का लेकिन
तेरा ख़ुलूस है सूरज के सायेबाँ की तरह

(सकूत-ए-दिल = दिल की ख़ामोशी), (जज़ीरा = द्धीप, टापू), (ख़ुलूस = सरलता और निष्कपटता, सच्चाई, निष्ठां), (सायेबाँ = मकान के आगे का छज्जा जो छाया के लिए बनाया गया हो)

लहू है निस्फ़ सदी का जिस के आबगीने में
न देख 'प्रेम' उसे चश्म-ए-अर्ग़वाँ की तरह

(निस्फ़ = आधा), (आबगीना = बोतल), (अर्ग़वाँ = एक लाल फूल), (चश्म-ए-अर्ग़वाँ = लाल आँखें)




kabhi to khul ke baras abr-e-meharabaa.N kii tarah
mera wajuud hai jalate hue makaa.N kii tarah

mai.n ik Khwaab sahii aap kii amaanat huu.N
mujhe sambhaal ke rakhiyegaa jism-o-jaa.N kii tarah

kabhii to soch ke vo shaKhs kis qadar thaa bula.nd
jo bichh gayaa tere qadmo.n me.n aasmaa.N kii tarah

bulaa rahaa hai mujhe phir kisii badan kaa basa.nt
guzar na jaaye ye rut bhii kahii.n Khizaa.N kii tarah

-Prem Warbartoni

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