Monday 25 August 2014

Dil Ko Gham-e-Hayaat/ दिल को ग़म-ए-हयात

दिल को ग़म-ए-हयात गवारा है इन दिनों
पहले जो दर्द था वही चारा है इन दिनों

[(ग़म-ए-हयात = जीवन का दुःख), (गवारा = रुचिकर, पसंदीदा), (चारा = उपाय, तदबीर, तरकीब)]

ये दिल, ज़रा सा दिल, तेरी यादों में खो गया
ज़र्रे को आँधियों का सहारा है इन दिनों

(ज़र्रा = बहुत छोटा टुकड़ा या खंड, अणु, कण)

तुम आ सको तो शब को बढ़ा दूँ कुछ और भी
अपने कहे में सुब्ह का तारा है इन दिनों

(शब = रात)

-क़तील शिफ़ाई


Dil Ko Gham-e-Hayaat Gawaara Hai In Dino
Pehle Jo Dard Tha Wahi Chaara Hai In DiNo

Ye Dil, Zara Sa Dil, Teri YaadoN MeiN Kho Gaya
ZaRRe Ko AandhiYon Ka Sahara Hai In DiNo

Tum Aa Sako To Shab Ko BaDha DooN Kuch Aur Bhi
Apne Kahe MeiN Subah Ka Taara Hai In DiNo

-Qateel Shifai

No comments:

Post a Comment