Tuesday 26 August 2014

Shayad Main Zindagi Ki Sahar/ शायद मैं ज़िन्दगी की सहर

शायद मैं ज़िन्दगी की सहर लेके आ गया
क़ातिल को आज अपने ही घर लेके आ गया

(सहर = सुबह, सवेरा)

ता-उम्र ढूँढता रहा मंज़िल मैं इश्क़ की
अंजाम ये के गर्द-ए-सफ़र लेके आ गया

(अंजाम = परिणाम, फल), (गर्द-ए-सफ़र = यात्रा की धूल)

नश्तर है मेरे हाथ में, कांधों पे मैक़दा
लो मैं इलाज-ए-दर्द-ए-जिगर लेके आ गया

(नश्तर= शल्य क्रिया/ चीर-फाड़ करने वाला छोटा चाकू), (मैक़दा = मधुशाला, मैख़ाना), (इलाज-ए-दर्द-ए-जिगर = जिगर के दर्द का इलाज)

'फ़ाकिर' सनमकदे में न आता मैं लौटकर
इक ज़ख़्म भर गया था इधर लेके आ गया

(सनमकदा = प्रिय या प्रेमिका के रहने का स्थान)

-सुदर्शन फ़ाकिर




Shayad Main Zindagi Ki Sahar Le Ke Aa Gaya
Qaatil Ko Aaj Apne Hi Ghar Le Ke Aa Gaya

Taa UmR Dhoondhta Raha Manzil MaiN Ishq Ki
Anjaam Ye Ke Gard-e-safar Le Ke Aa Gaya

Nashtar Hai Mere Haath MeiN KaaNdhoN Pe Maikada
Lo MaiN IlaaJ-e-Dard-E-jigar Le Ke Aa Gaya

'Faakir' Sanamkade MeiN Na Aata MaiN Lautkar
Ik Zakhm Bhar Gaya Tha Idhar Le Ke Aa Gaya

-Sudarshan Faakir

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